भारतीय परंपरा के अनुसार वर्ष में दो बार नवरात्रि का पर्व मनाने का विधान है। पहले नवरात्र चैत्र माह में व दूसरे आश्विन में मनाए जाते हैं। वास्तव में ये दोनों ही नवरात्र ऋतु परिवर्तन के प्रारंभ में आते हैं।
आयुर्वेद में इसको ऋतुसंधि कहा गया है और इस समय खान पान एवं स्वस्थ का विशेष ध्यान रखने को कहा गया है और ऋतुजन्य रोगो से रक्षा हेतु कहा गया है

वातावरण के परिवर्तन के साथ खान-पान में भी बदलाव व सावधानी की आवश्यकता होती है। अत: स्वास्थ्य की दृष्टि से खान-पान के असंतुलन को सुधारने के लिए उपवास का सहारा लिया जाता है
परन्तु दुर्भाग्य देखे कि लोगों ने उपवास का अर्थ का अनर्थ ही कर दिया है
आज-कल हम दैनिक जीवन में इतना नहीं खाते जितना उपवास के नाम पर खा लेते है।जब उपवास करने के दिन नजदीक आने लगते है तभी लोग घरों में अलग-अलग प्रकार की मिठाई, फलाहारी व्यंजन आदि बनाकर पहले से ही रख लेते है। और उपवास के दिनों में जो अलग-अलग व्यंजन बनेंगे सो अलग। उपवास के नाम पर तला भुना एवं गरिष्ठ भोजन( चिप्स ,मावा ,मूंगफली कि तली गिरी ,चौलाई के लड्डू ,कुट्टु,समक का चावल ) का सेवन कर अपना पाचन तंत्र एवं स्वस्थ का नुकसान करते है। आयुर्वेद में कुट्टू एवं सामक को हीन अन्न कहा गया है जो स्वस्थ के लिए हानिकारक है

उपवास का अर्थ संयम है। संयम का अर्थ है दिनभर की चाय या खान-पान पर संयम करना। ऐसा नहीं कि भूख नहीं लगी हो फिर भी मुँह चलाते रहने के लिए कुछ न कुछ खाते रहना। अगर उपवास के नाम पर तरह-तरह के व्यंजन ही बनाकर खाना हो और तरह-तरह के फल ही खाना हो, दिन भर मुँह चलाना हो तो फिर उपवास करना ही बेकार है.

उपवास के नियम:-

1. उपवास के एक दिन पूर्व शाम से ही गरिष्ठ भोजन त्याग देना चाहिए।

2. उपवास के दिन फल-दूध का आहार लेना चाहिए। उपवास के समय अधिक मात्रा में जल का सेवन करना चाहिए। साथ ही सुबह एवं शाम को पैदल घूमना चाहिए जिससे विजातीय पदार्थ पसीने एवं मूत्र के रूप में बाहर निकल जाते हैं।

3. उपवास के दिन कठिन परिश्रम के बजाय साधारण तरीके से दिन बिताना चाहिए। इस दिन पूजा पाठ एवं माता ध्यान इत्यादि करना चाहिए। अधिक कमजोरी होने पर नीबू पानी ले सकते हैं। इससे आँतों की सफाई अच्छी तरह से हो जाती है।

4. खाना खाकर उपवास नहीं खोलना चाहिए क्योंकि आँतों पर विश्राम के बाद अतिरिक्त भार पड़ने से लाभ के बजाय हानि हो सकती है (या पेटदर्द हो सकता है)। उपवास फलों के रस या सूप से खोलना चाहिए।

5. नवरात्र कि समाप्ति पर एक दम सामान्य भोजन पर नहीं आना चाहिए पहले मूँग की दाल का पानी,दूसरे दिन दलिया,तीसरे दिन से सामान्य आहार लेना चाहिए।

6. उपवास शारीरिक क्षमता एवं स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर करना चाहिए। शरीर को अत्यधिक कष्ट देकर उपवास करना हानिकारक हो सकता है। डायबिटीज के रोगी को उपवास नहीं करना चाहिए।